
इस नैया में जो चढ जायेगा ।
जन्म जन्म के पापों से मुक्ति को मिल जायेगा ।कटे चौरासी बंधन । पडे न समय की मार । राम नाम की नैया लेकर । सदगुरु करे पुकार ।पाप गठरिया शीश धरी कैसे आऊं में ।अपने ही अवगुण से खुद शरमाऊं में । नैया तेरी सांची गुरुवर । मेरे पाप हजार । राम नाम की नैया लेकर । सदगुरु करे पुकार । जीवन अपना सौंप दे मेरे हाथों में ।
स्वांस स्वांस को पोत ले मेरी यादों में ।
पाप पुन्य का बनकर । मैं आया ठेकेदार ।
राम नाम की नैया लेकर । सदगुरु करे पुकार ।करके दया सतगुरु ने चदरिया रंग डाली ।
जन्म जन्म की मैली चादर धो डाली ।
दाग भरी थी मेरी चदरिया । कर दी लाल ही लाल ।राम नाम की नैया लेकर । सदगुरु करे पुकार । बडे भाग से सदगुरु जी का ग्यान मिला । मुझ दुख हारी को जीने का आधार मिला । जलने लगी थी । बीच भंवर । आगे खेवनहार । राम नाम की नैया लेकर । सदगुरु करे पुकार । आओ मेरी नैया में । मैं ले चलूं भव से पार ।
********
" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
कोई साधना करना चाहते हैं । और आपको ऐसा लगता है कि यहाँ आपके प्रश्नों का उत्तर मिल सकता है । तो आप निसंकोच सम्पर्क कर सकते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें