महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था । महाराज युधिष्ठर ने सत्ता संभाल ली थी । और राज्य के कार्यों में व्यस्त हो गये थे । उन्ही दिनों एक सन्यासी याचक महल के द्वार पर पहुँचा । और महाराज से मिलने की इच्छा व्यक्त की । परन्तु महाराज युधिष्ठर उस दिन कुछ उलझन में
थे । और कुछ अन्य वजहों से अत्यधिक व्यस्त थे । सो उन्होंने संदेशवाहक प्रहरी से कहा । कि आगन्तुक सन्यासी को " कल "आने को बोल दो । और अपने कार्य में लग गये । लेकिन कुछ ही देर में महाराज युधिष्ठर बुरी तरह चौंके । राजमहल के प्रांगण में " विजयशंख " बजने लगा । ढोल नगाङे तुरही आदि वाध विजय का उदघोष करने लगे । युधिष्ठर बेहद उलझन में थे कि आखिर ये " विजयनाद " किस उपलक्ष्य में हो रहा है । जबकि उनकी हालत से बेखबर भीम , अर्जुन , नकुल , सहदेव आदि निरन्तर विजयनाद कर रहे थे । युधिष्ठर ने उन्हें रोककर पूछा कि आखिर ये विजयनाद किस खुशी में हो रहा है ?
तब भीम आदि भाईयों ने बताया कि बङे भैया आपने " मृत्यु पर विजय " प्राप्त कर ली । हम सब भाई इस खुशी में विजयनाद कर रहे हैं । युधिष्ठर बुरी तरह चौंके और कहा , " वत्स भीम ये तुम क्या कह रहे हो । तुमसे किसने कहा कि मैंने दुर्लभ मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है । "
भीम ने कहा , " बङे भैया ! अभी अभी आपने ही तो कहा । " युधिष्ठर चौंककर बोले , " मैंने..मैंने भला ये कब कहा ? "
भीम बोले । अभी कुछ ही देर पहले तो आपने उस सन्यासी से कहा कि कल आना । इसका मतलब यही तो हुआ कि आप को कल का पता है । अर्थात आप निश्चिंत हैं कि कल तक आप जीवित रह सकते हैं । और महाराज युधिष्ठर कभी झूठ नहीं बोलते । इसलिये इसका सीधा सा अर्थ हुआ कि आपने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली । क्योंकि इंसान को पल का पता नहीं और आप कल की बात कह रहे हैं । इसलिये इस खुशी में हम विजयनाद कर रहे थे कि आपने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है । तब युधिष्ठर को अपने भाईयों की बात का मर्म समझ में आया । कि उनसे कितनी बङी गलती हो गयी है । भला कल किसने देखी है । अगर किसी कारणवश कल से पहले ही मेरी मौत हो जाय । तो मेरी बात झूठी हो जायेगी और सदा सत्य बोलने वाले युधिष्ठर पर झूठ बोलने का कलंक लग जायेगा । उन्होंने तुरन्त वापस निराश जाते हुये सन्यासी को बुलाया और उसकी वांछित सहायता की ।युधिष्ठर ने सही समय पर सही युक्ति द्वारा सन्मार्ग दिखाने के लिये अपने बुद्धिमान भाईयों की भरपूर सराहना की ।
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- mukta mandla
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- भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।
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