एक सुआन दुई सुआनी नाल । भलके भौंकही सदा बिआल ।
कुड छुरा मुठ मुरदार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं पति की पदि न करनी की कार । उह बिगङै रूप रहा विकराल ।
तेरा एक नाम तारे संसार । मैं ऐहो आस ऐहो आधार ।
मुख निंदा आख दिन रात । पर घर जोही नीच मनाति ।
काम क्रोध तन बसह चंडाल । धाणक रूप रहा करतार ।
फ़ाही सुरत मलूकी बेस । उह ठगवाङा ठगी देस ।
खरा सिआणा बहुता भार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं कीता न जाता हरामखोर । उह किआ मुँह देसा दुष्ट चोर ।
नानक नीच कह विचार । धाणक रूप रहा करतार ।
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कुड छुरा मुठ मुरदार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं पति की पदि न करनी की कार । उह बिगङै रूप रहा विकराल ।
तेरा एक नाम तारे संसार । मैं ऐहो आस ऐहो आधार ।
मुख निंदा आख दिन रात । पर घर जोही नीच मनाति ।
काम क्रोध तन बसह चंडाल । धाणक रूप रहा करतार ।
फ़ाही सुरत मलूकी बेस । उह ठगवाङा ठगी देस ।
खरा सिआणा बहुता भार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं कीता न जाता हरामखोर । उह किआ मुँह देसा दुष्ट चोर ।
नानक नीच कह विचार । धाणक रूप रहा करतार ।
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साहब मेरो एको है । एको है भाई एको है ।
आपै रूप करे बहु भांती । नानक बपुणा एव कह ।
जो तिन किआ सो सचु थीआ । अमृत नाम सतगुरु दीआ ।
गुरु पूरे ते गति मति पाई ।
बूङत जग देखिआ तउ डरि भागे । सतिगुरु राखे से बङ भागे । नानक गुरु की चरणों लागे ।
मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा विचारी राम ।
बलिहारी गुरु आपणे दिउहाङी सद बार ।
जिन मानस ते देवते कीए करत न लागी बार ।
आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ ।
दुयी कुदरति साजीए करि आसणु डिठो चाउ ।
दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करउ पसाउ ।
तूं जाणोइ समसै दे लैसहि जिन्द कबाउ । करि आसणु डिठो चाउ ।
एहू जीउ बहुते जन्म भरमिआ । ता सतिगुरु शब्द सुणाइआ ।
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नानक नाम चढदी कलां । तेरे भाणे सब दा भला ।
नानक दुखिया सब संसार । सुखिया सोय नाम आधार ।
जाप ताप ज्ञान सब ध्यान षट शास्त्र सिमरत व्याख्यान ।
जोग अभ्यास कर्म धर्म किया । सगल त्यागवण मध्य फ़िरिया ।
अनेक प्रकार किए बहु यत्ना । दान पुण्य होमै बहु रत्ना ।
शीश कटाये होमै कर राति । वृत नेम करे बहु भांति ।
नहीं तुल्य राम नाम विचार । नानक गुरुमुख नाम जपिये एक बार ।
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