सोमवार, मई 17, 2010

पुनर्जन्म कल्पना नहीं ठोस हकीकत है..?

अभी लगभग दो साल पहले पुनर्जन्म की तीन प्रमुख घटनाओं से प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में तहलका ही मच गया..इनमें एक शाहजहाँपुर के राजेश rajesh की थी जो अपने आपको पूर्वजन्म का अंग्रेज साइंटिस्ट बताता था और विदेश स्टायल की अंग्रेजी यकायक बोलने लगा था. अभी ये बात सुर्खियों में ही थी कि एक गाँव में नासा की वैग्यानिक और डिस्कवरी अंतरिक्ष यान दुर्घटना में मृतक कल्पना चावला kalpna chawla के पुनर्जन्म की खवरों का हल्ला मचने लगा अभी यह खवर भी ठीक से थमी नहीं थी कि एक प्लेन दुर्घटना में मृत माधवराव सिन्धियां
madhavraw sindhiya के पास ही के एक गाँव ( जहाँ प्लेन दुर्घटना हुयी थी ) में जन्म लेन की खवर से मीडिया जगत में सनसनी फ़ैल गयी..इसके बाद भी कुछ छोटी छोटी पुनर्जन्म
की अन्य खवरें आती रहीं ..ये सब चल ही रहा था कि एन. डी. टी. वी. इमेजिन Ndtv imejin के एक प्रोग्राम ..राज..पिछले जन्म का..raj ..pichhale janm ka ने लोगों को पुनर्जन्म की
चर्चाएं करने पर विवश कर दिया ...ये ऊपर की तीन प्रमुख घटनाएं राजेश , कल्पना चावला और माधवराव सिन्धिया.. IBN7..INDIA T.V..ZEE NEWS..STAR NEWS..आदि
प्रमुख न्यूज चैनलों पर हफ़्तों एक सनसनीखेज news के रूप में छायीं रही . मैंने राज ..पिछले जन्म का...का जिक्र महज इसीलिये किया है कि कोई भी जो आत्मग्यान की तीसरी या चौथी कक्षा का भी विधार्थी student है . वो आसानी से ये बात बता सकता है कि इस प्रोग्राम की धारणा ही एकदम बेतुके और निराधार तथ्यों पर आधारित है क्योंकि..because...अपने पूर्वजन्म को देखने हेतु हमें स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर में प्रविष्ट करनी होती है और सूक्ष्म शरीर से कारण शरीर karan sharir में प्रविष्ट करनी होती है ..और ये योगियों का काम है ...किसी बच्चे का खेल नहीं..कारण शरीर ही वो शरीर है जहाँ हमारे अनंत जन्मों के संस्कार एकत्र हैं और ये सच है कि कारण में सुरती किसी तरह पहुँच जाय तो हम अपने एक क्या कई पिछले और अगले जन्मों को देख सकते हैं ...पर जिस तरह इसको दिखाया जा रहा है उस तरह हरगिज नहीं ..यहाँ एक बात ये बता देना उचित है कि ये बात मैं किसी अध्ययन या सुनी सुनाई बात के आधार पर नहीं कह रहा बल्कि प्रक्टीकल बेस पर कह रहा हूँ ..इस तरह स्टूडियो के माहौल में प्रचारात्मक उद्देश्य से किसी भी आत्मग्यान की क्रिया में प्रविष्टि नहीं की जा सकती...फ़िर कारण
शरीर में जाना तो बहुत बङी बात होती है..आपको अगर ध्यान हो तो महाभारत के एक पात्र भीष्मपितामह की क्षमता भी अपने सौ जन्म तक उठ पाने की थी इससे ऊपर उन्हें श्रीकृष्ण ने उठाया था ....बहरहाल ये लोग क्या दिखाते हैं...कैसे दिखाते हैं..और क्या दिखता है...इसमें कितना सच है...कितना झूठ है..ये वही लोग बेहतर जान सकते हैं ..परन्तु मैं ये पक्का जानता हूँ कि किसी भी आदमी को यकायक उसका पुनर्जन्म दिखाना असंभव ही नहीं नामुमकिन है.. इसके लिये साधक को एक विशेष विधान द्वारा अभ्यासी बनाया जाता है फ़िर उसको सुरती
द्वारा उठाया जाता है तब छह महीने से ...एक साल में उसको इस तरह का अनुभव होता है सो भी साधक की स्वनिष्ठा यदि लगनशील नहीं है तो ये भी कोई जरूरी नहीं ..यह पूरी तरह समर्पण और सुमरन ( खुद के मरने के तरीके का अभ्यास ) का मार्ग है .
लेकिन जिस समय राजेश और कल्पना चावला का मामला उछल रहा था ..मैं उन दिनों संत समुदाय (आत्मग्यानी ) के सानिंध्य में था और एक परिचित के माध्यम से ये जिग्यासा जब वहाँ पहुँची तो इन दोनों घटनाओं को " सत्य " बताया गया..हालांकि माधवराव सिन्धिया की बात मेरे सामने नहीं हुयी..मेरे द्वारा इन पर विश्वास करने का कारण ये था कि एक तो मैं स्वयं ही पिछले बीस सालों से अलौकिक साधनाओं के सम्पर्क में हूँ ..दूसरे महात्माओं ने एक बार खुश मूड में मुझे स्व श्रीमती इंदिरा गान्धी late prime minister shrimati indira ghandhi की वर्तमान स्थिति दिखायी तथा कुछ और भी अलौकिक अनुभव कराये जिनके मद्देनजर किसी तरह के शक का कोई
प्रश्न ही नहीं था .
यहाँ एक विचारणीय प्रश्न ये है कि कोई जीव या मनुष्य जब अकालमृत्यु मरता है तो आखिर वो कहाँ जाय...भगवान के नियम के अनुसार जब तक जीव का समय पूरा नहीं हो जाता दूसरे शरीर में उसकी स्थिति नहीं हो सकती ..तो जो लोग अपनी आयु शेष छोङकर कालकवलित हो जाते हैं उन्हें यमदूत लेने नहीं आते..वे अपना स्थूल देही दुर्घटनावश त्यागकर सूक्ष्म शरीर के साथ निरुद्देश्य इधर उधर घूमते रहते हैं..इस स्थिति को भूत प्रेत योनि नहीं समझा जा सकता और न ही उसके समकक्ष रखा जा सकता है..सूक्ष्म शरीर बिल्कुल ऐसा ही (स्थूल शरीर या मानव शरीर जैसा ) होता है...केवल मनुष्य के लिये यह अद्रष्य होता है कुछ जीव जैसे कुत्ते घोङे बिल्ली
आदि इसको देखने में सक्षम होते हैं ..यह हल्का होता है और इसकी चलन गति कुछ इस तरह की होती है जैसे चन्द्रमा पर होती है..यानी एक कदम उठाने पर सौ कदम के बराबर हल्के उङने जैसी स्टायल में जीव एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करता है...भले ही अपनी जिन्दगी में वो आदमी कभी पेङ पर चङना न जानता हो पर इस शरीर के साथ वो आराम से पेङ पर चङता है...बल्कि अपनी सूक्ष्म शरीर की अवधि को वो ज्यादातर पेङ पर ही गुजारता है..इस सम्बन्ध में पूरी पुस्तक लिखी जा सकती है इसलिये इतना ही लिख रहा हूँ ....कुछ समय बाद वो सूक्ष्म शरीर जीव अपनी स्थिति का चिंतन करता है..और फ़िर अपनी वासनाओं और अन्य जीवों से अपने संयुक्त
कर्म संस्कार के आधार पर पहले से स्थापित हो चुके किसी महिला के गर्भ में पाँचवे महीने में प्रविष्टि करता है..वह अपनी पूर्व स्थिति के अनुसार ही शरीर पाता है जैसे औरत तो औरत आदमी तो आदमी...क्योंकि अभी उसकी मानसिक स्थिति में(उस स्तर पर) कोई बदलाव नहीं हुआ है इस तरह फ़िर जन्म को प्राप्त होता है..आदि..इस पूरी घटना को बिलकुल कारणो सहित लिखना लगभग असंभव है..क्योंकि एक जीव की स्थिति से उस वक्त उसमें लाखों अन्य घटक भी मिल जाते हैं.. हाँ यदि मृतक के अपने उसी घर में संस्कार शेष है..और घर की कोई भी महिला उस समय तीन चार महीने का गर्भकाल पूरा कर चुकी है तो निसंदेह उसका पुनर्जन्म अपने ही घर में होगा..लेकिन यदि घर में गर्भिणी महिला नहीं है तो जीव दूसरे सम्बन्धों से कनेक्ट हो जाता है ..आदि
मैं आपको एक किस्सा बताता हूँ जो ठीक मेरे सामने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में शहर मैंनपुरी में घटा है और अभी ताजा ही है..मैंनपुरी के मदारगेट पर पन्नालाल यादव नामक सब्जी विक्रेता सब्जी की ठेल लगाते हैं..लगभग पाँच साल पहले जब ये देवी रोड पर एक प्लास्टिक की कुर्सियों के डिस्ट्रीब्यूटर के गोदाम पर चौकीदार थे और उनका परिवार वहीं रहता था..ये गोदाम कब्रिस्तान के एकदम निकट है और आसपास का स्थान भुतहा समझा जाता है..इनके तीन बच्चों में सबसे छोटा पुत्र अचानक बीमार होकर मर गया.बाद में इसने मदारगेट के सामने रहने वाले एक परिवार में जन्म लिया और बोलना और चलना शुरु होते ही इसने अपने पूर्व माँ बाप को पहचान लिया...पहले घर के लोगों ने इसकी बातों पर गौर नहीं किया..तब ये घर के दरबाजे पर खङा होकर उस तरफ़
देखने लगा..जिस रास्ते से इसकी माँ शाम के समय ठेले पर आती थी..दरअसल उस घटना के बाद पन्नालाल ने वो नौकरी छोङ दी..और फ़िर से सब्जी का ठेला लगाने लगे..इस तरह कुछ ही दिनों में बच्चे ने अपने माँ बाप को पहचान लिया..इस बच्चे के लोगों ने कई तरह से टेस्ट लिये जिनमें यह पूरा उतरा . पुनर्जन्म कल्पना नहीं ठोस हकीकत है..?

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।