
जरूरी है । और वो प्रकृति ही हो सकती है । सभी रहस्य प्रकृति के अन्दर ही तो हैं । तब ये आवाजें क्यों हो रही हैं ? ये किसको पुकार रहीं हैं । ये खुद हमें बताती हैं । बस इनसे पूछना होता है । पूछने के लिये संवाद जरूरी है । पहले सबको सुनो । फ़िर कुछ को सुनो । फ़िर एक को चुनो । ये साधारण बात नहीं । बडी गहन बात है । खास कोई एक होता है । दो होते हैं । बहुत नहीं होते । वो खास तुमसे बात करने का इच्छुक है । पर यदि तुम खुद खास हो जाओ । हां । सच है । खास होना पडता है । खास कोई होता नहीं । बल्कि होना पडता है । खास होने के लिये खास की तरफ़ जाना होता है । तो.. ये सारा संगीत एक रहस्य बताता है । मगर । एक रुकावट हो जाती है । डर की रुकावट । तुम ऐसे माहौल के अभ्यस्त नहीं हो । डर लगता है । डर तुम्हें संगीत नहीं सुनने देता । कोई बात नहीं । अपने घर के पास ही सुनो । ऐसे शुरू करो । तुम्हें यहां भी अजीव सा अहसास होगा । पर याद रखो । डर को दूर करने के लिये डर के पास जाना जरूरी है । जव तुम डर के पास रहने लगते हो । तो डर तुम्हारा पडोसी हो जाता है ।