

बहुतक मुन्डा भये । कमन्डल लये ।
लम्बे केश । सन्त के वेश । दृव्य हर लेत । मन्त्र दे कानन भरमावे ।
ऐसे गुरु मत करे । फ़न्द मत परे । मन्त्र सिखलावें ।
तेरो रुक जाय कन्ठ । मन्त्र काम नहि आवे । ऐसे गुरु करि भृंग । सदा रहे संग । लोक तोहि चौथा दरसावें ।
*********
जहां लगि मुख वाणी कहे । तंह लगि काल का ग्रास । वाणी परे जो शब्द है । सो सतगुरु के पास ।
*******
कोटि नाम संसार में । उनसे मुक्ति न होय । आदि नाम जो गुप्त है । बूझे बिरला कोय ।
******
कृत रत नाम जपे तेरी जिह्वा । सत्य नाम सतलोक में लियो महेशी जानि ।
******
इन्ड पिन्ड ब्रह्मान्ड से न्यारा । कहो कैसे लख पायेगा । गुरु जौहरी जो भेद बतावे । तब इसको लख पायेगा ।
*********
घाट घाट चले सो मानवा । औघट चले सो साधु । घाट औघट दोनों तजे । ताको मतो अगाध ।
******
अलख लखूं । अलखे लखूं । लखूं निरंजन तोय । हूं सबको लखूं । हूं को लखे न कोय ।
********
तोमें राम । मोमें राम । खम्ब में राम । खडग में राम । सब में राम ही राम । श्री महाराज जी के प्रवचन से ..।
*****
लेखकीय - इधर व्यस्तता अधिक है । ब्लाग्स का कार्य न के बराबर हो रहा है । सतसंग में सुने गये दुर्लभ
रहस्य को आपके लिये संक्षेप में प्रकाशित कर रहा हूं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें