सोमवार, मार्च 29, 2010

पाँच साल का राजा..?.

पाँच साल का राजा...श्री महाराज जी के प्रवचन से..|
किसी नगर में यह कानून था कि वहाँ पाँच साल के लिये ही राजा बनाया जाता था और फ़िर उस राजा को वैतरणी नामक नदी में
डाल दिया जाता था . नदी के पार भयानक हिंसक जीव जन्तुओं से भरा जंगल था . राजा को फ़िर से नगर में आने की इजाजत
नहीं होती थी और अंत में राजा भयानक मौत मारा जाता था . इसलिये उस नगर का कोई भी निवासी राजा बनने को तैयार नहीं
होता था . एक बार जब राजा का कार्यकाल पूरा हो चुका था और दूसरा कोई राजा मिल नहीं रहा था . एक चतुर आदमी वहाँ पहुँचा .
और पूरी बात सुनकर उसने कहा ठीक है मैं तुम्हारा राजा बनूँगा . नगर की प्रजा ने उसे खुशी खुशी राजा बना दिया .राजा बनते ही
उसने नगर के कुशल इंजीनियरों को बुलाकर नदी पर एक शानदार पुल बनवाया और फ़िर नदी के पार के जंगलों को काटकर एक शानदार महल बनाने का आदेश दिया क्योंकि अभी वह राजा था इसलिये उसका आदेश मानना मजबूरी थी .पाँच साल के अंदर ही उसने इधर से बढिया व्यवस्था उधर कर ली .पाँच साल पूरा होने पर जब उसे नदी में डाला गया .वह आदमी पुल पर चढकर अपने शानदार महल में पहुँच गया और आनंदपूर्वक रहने लगा...??
श्री महाराज जी कहते है कि पंचतत्वों से बने इस शरीर में तुम राजा की तरह ही हो..इसलिये समय रहते वह जतन कर लो कि जब म्रत्यु आने पर तुमको वैतरणी में फ़ेंका जाय तो तुम्हारे पास कोई अपना इंतजाम होना चाहिये .अभी तुम्हारे पास (मनुष्य शरीर) वह चीज है जिससे तुम स्वर्ग या उससे भी बङी स्थिति को प्राप्त कर सकते हो
अन्यथा समय निकल जाने पर साढे बारह लाख बरस में समाप्त होने वाली चौरासी लाख योनियों में पशु पक्षी कीट पतंगा या फ़िर अपने कर्मों के फ़लस्वरूप हजारों साल का नरक भोगना होगा..अभी तुम बहुत कुछ कर सकते हो ..अभी तुम सम्पूर्ण सुखों को देने वाले उस महामन्त्र का ध्यान करके बहुत कुछ बदल सकते हो..

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।