गुरुवार, मार्च 18, 2010

ज्ञान मार्ग की चार प्रमुख गतियाँ

वैसे तो ज्ञान मार्ग की अनेक गतियाँ हैं । परन्तु सुविधा के लिहाज से हम इन्हें चार प्रमुख भागों मैं बाँट सकते हैं । यहाँ ये बताना जरूरी है के मन और शारीर के अतिरिक्त जो अनुभव किसी ज्ञान द्वारा किये जाते है उन्हें अलोकिक ज्ञान कहते हैं । मन और शारीर से किया जाने वाला ज्ञान कर्म की श्रेणी मैं आता हैं .त्तुम्हारा कर्म ही तुम्हें अगले जन्मों मैं ले जाता है और जैसा कर्म होता है उसी आधार पर अगला जन्म होता है ..यहाँ ये बताना जरूरी है के आपका कर्म कितना ही अछ्छा क्यों न हो दुबारा मनुष्य जन्म ८४ लाख योनियों को भोगने के बाद ही प्राप्त होगा । आखिर इस मनुष्य शारीर मैं कुछ तो खास बात है जो देवता भी चाहते है के एक बार उन्हें ये मनुष्य शारीर मिल जय तो वे अखंड आनंद देने वाली मुक्ति को प्राप्त हो सकें ।
श्रीकृष्ण ने गीता मैं कहा है के हे अर्जुन मुक्ति ज्ञान से है अछ्छे कर्मों से मुक्ति कभी नहीं होती । अछ्छे कार्मों से तुझ्र स्वर्ग तो प्राप्त हो सकता है पर मुक्ति कभी प्राप्त नहीं होगी । जाहिर है ये मुक्ति बड़ी ऊंची चीज है .और मुक्ति के सामने स्वर्ग एकदम तुच्छ है ..इस लिए ज्ञान मार्ग को चार भागों मैं बांटा ग्या है
१_विहंगम मार्ग २_मकर मार्ग ३_मरकत मार्ग ४_मीन मार्ग
इनमें विहंगम मार्ग ही संत मार्ग होता है बाकि सब सिध्धों के मार्ग हैं । इसे ही सहज योग कहते है ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।