शुक्रवार, मार्च 19, 2010

लिया हुआ देना होगा

एक समय की बात है एक आदमी जिंदगी मैं पहली बार किसी महात्मा का सत्संग सुनने गया । वहां जाकर उसने सुना के हमें इस जीवन मैं जो मिला है वो हमारे पूर्व जन्मों के पुन्य से मिला है और केवल अपने परिवार के लिए ही सोचना परमार्थ नहीं स्वार्थ है ।
अर्थात अगर वह इस जीवन की तरह ही अगले जन्मों मैं होना चाहता है तो उसे परमार्थ के कार्य करने ही होंगे अन्यथा जब उसने बोया ही नहीं तो वो कटेगा कैसे ।
उस आदमी के दिमाग मैं यह बात बैठ गई । वो अगले जन्म मैं भी धन का सुख प्राप्त करना चाहता था क्योंकि उसका ये मन्ना था की धन से सुख पूर्वक रहा जा सकता है और धन बहुत सी समस्यायों का समाधान भी है ।
उसने अपने घर आकर ये घोषणा कर दी के जिसको भी अगले जन्म के लिए पैसा चाहिए वो मुझसे ले जय अर्थात कोई भी मुझसे इस जन्म मैं पैसा ले ले और अगले जन्म मैं लोटा दे जो इस शर्त पर तैयार हो वो पैसा ले जा सकता है ।
उसकी ये घोषणा सुनकर चार दोस्तों ने सोचा के चलो ये खूब पागल मिला है । जो इस जन्म मैं रुपया देगा और अगले जन्म मैं लेगा ये रूपया तो खूब फ्री मैं मिला समझो अरे अगले जन्म मैं पता नहीं ये कहाँ होगा हम कहाँ होगे ये हमें कैसे हमें पहचानेगा और फिर पता नहीं अगला जन्म होता भी है या नहीं ।
यही सोचकर वो ५०-५० ००० रूपये चारों ले आये के चलो ये खूब पागल मिला । उस आदमी ने उन चारों से कागज पर लिखवा लिया के वो ये रूपया अगले जन्म मैं देंगे । वो खूब ख़ुशी मनाते हुए आ रहे थे के तभी प्रभु की कृपा से एक लीला हुई ।
वो रात मैं जहाँ ठहरे थे वहां एक कोल्हू चलने वाले का घर था । रात का समय था जब उनको ये विलक्षण लीला दिखाई दी । उस टैली के घर एक भैंसा और एक वेळ था व्वो दोनों आपस मैं बाते कर रहे थे । प्रभु की लीला से उनको वे बातें यानि जन्बरों की बोली समझ मैं आने लगी । भंसा कह रहा था के इस तेली के मुझ पर दो चक्कर का ऋण और बचा है जैसे ही दो चक्कर पूरे होंगे मेरी मृत्यु हो जाएगी और मेरा ऋण ख़त्म हो जायेगा ..वेळ ने कहा तुम्हारी मुक्ति तो हो जाएगी पर मेरे ऊपर तो इसके ५० ००० रुपये निकलते है जब तक वो पूरे नहीं हो जाते मुझे इसका काम करना ही होगा फिर कुछ सोचकर वेळ बोला के एक उपाय और भी है वो यदि हो जाय तो ;यहाँ के राजा के हाथी के ऊपर मेरे ५० ००० रूपये है वो किसी प्रकार इसे मिल जाय तो मेरा ऋण भी चुक जाएगा ..
भैसा बोला कल राजा एक आयोजन करवाता है जिसमें कोई भी अपने किसी जानवर से यदि राजा के हाथी को मैदान छोड़कर भागने पर मजबूर कर दे तो राजा उसे इनाम मैं ५० ००० रूपये देता है यदि तुम किसी तरह राजा के हाथी को भयभीत कर दो और इस तेली को वो ५० ००० रूपये मिल जाए तो तुम्हारी भी मुक्ति हो जायेगी । वेळ को ये बात जाँच गई और वो भगवान् से प्रार्थना करने लगा के मेरे मालिक को इस बात की प्रेरणा हो के वो कल के मुकाबले के लिए मुझे ले जाए ।चारों दोस्त ये बात सुनकर चकित रह गए और वे बेहद भयभीत भी हो गए । उन्होंने इस बात की सच्चाई ज्जान्ने के लिए दूसरे दिन रूकने का निश्चय किया । के भैसा और वेळ की बातों का प्रमाण देखेंगे
दूसरे दिन जैसे ही भैसा के दो चक्कर पूरे हुए वो जमीन पर गिर पड़ा और मर गया । उधर तेली ने सोचा के मेरा भैसा मर गया है अब मुझे क्या करना चाहिए मुझे रुपयों की बहुत जरूरत है तभी उसके दिमाग मैं आया के यदि मैं अपने वेळ को राजा के हाथी से लडवा दूँ तो मेरी ये समस्या हल हो सकती है । ५० ००० रूपये से मेरे अनेकों काम हो जायेंगे यही सोचकर उसने हाथी से मुकाबले मैं अपने वेळ को लडवा दिया । अपनी मुक्ति का ख्याल रखकर वेळ पूरी ताकत से हाथी की तरफ बेहद गुस्से मैं दौड़ा हाथी उसका गुस्सा देखकर भोचक्का रह गया और दर कर भाग गया ।
तेली को ५० ००० रुपये मिलते ही व्वल का कर्ज उतर गया और वो भी गिरकर मर गया । अब तो उन चारों दोस्तों के छक्के छूट गए । लिया हुआ इस तरह चुकाना पड़ता है इसकी तो उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी । वो उलटे पाँव धनि आदमी के पास पहुंचे और कहने लगे के अपना रूपया वापस ले लो हमें नहीं चाहिए । लेकिन वो धनि आदमी अड़ गया के मुझसे तो तुम्हारी अगले जन्म की बात तय हुई है इसलिए रुपया मैं अगले जन्म मैं ही लूँगा । चरों दोस्त पछताने लगे के अब क्या करे ।
इसका रुपया न जाने हमें किस तरह अदा करना पड़े । फिर कुछ सोचकर उन्होंने उसी के गाव मैं एक तालाव बनवा दिया उस सुन्दर तालाब के चारों और उन्होंने सुन्दर सी वाटिका का निर्माण कराया और कर्ज के दो लाख रूपये पूरे खर्च कर दिए लेकिन इसके बाद वो एक एक डंडा लेकर चारों तरफ घूमने लगे वो किसी आदमी को तो दूर किसी पशु पक्षी तक को पानी नहीं पीने देते और न ही किसी को बाग़ मैं घुसने देते ।
उनकी चर्चा चारों और फेल गई और उस दानी आदमी के कानो तक भी पहुंची के चार आदमी एक सुन्दर बाग़ के मालिक हैं पर न तो वो बाग़ मैं किसी को घुसने देते हैं और न ही किसी को पानी तक पीने देते है ..वो आदमी भी उनके पास गया तो वो वाही चारों थे जिन्होंने उससे कर्जा लिया था उसने कहा के भाई तुम लोंगो को पानी क्यों नहीं पीने देते हो । ये सुनकर वो चरों वोले के हम एक शर्त पर तुम्हारी बात मान सकते है के तुम ये बात मान लो के ये बाग़ तुम्हारा हुआ और हमारा कर्जा चुक गया । फिर कोई भी इसका इस्तेमाल करे । थोड़ी नानुकर के बाद वो आदमी मान गया और वे कर्जे से मुक्त हो गए ।

कोई टिप्पणी नहीं:

Welcome

मेरी फ़ोटो
Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।