
जब से गुरु का नाम लिया है । गिरतों को गुरु ने थाम लिया है । सतगुरु ही मेरा सहारा है । मुझे भव से पार उतारा है । हरि ओम बोलो ।
ये गुरु जो तारनहार हुये । ये कलयुग के अवतार हुये । सारा जग माने सदगुरु को ।सदगुरु को । मेरे सदगुरु को ।
हरि ओम बोलो । हरि ओम बोलो ।
जो प्रेम गुरु से करते हैं । वो भव सागर से तरते हैं । हो उसका बेडा पार सदा । जो गुरु से करते प्यार सदा ।
हरि ओम बोलो । हरि ओम बोलो ।
आंगन में बहारें फ़ूलों की । पावन चरणों की धूलों की । यहां स्वर्गीय हवायें चलती हैं । जो नित नित पावन करती हैं ।
हरि ओम बोलो । हरि ओम बोलो ।
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" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । "
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