

यह बात गौर करके देखें कि जिस समय अनुलोम विलोम क्रिया और ध्यान एकाग्रता से मन विचारशून्य हो जाता है । उस समय ये आकृति दिखाई देनी बन्द हो जाती है । त्राटक के अच्छे अभ्यासियों को भी ये दिखाई नहीं देगी । तो अब आप कई बार ये प्रयोग करके देखना । ये आपकी मानसिक स्थित का एकदम सही पता बताती है । इसको बार बार देखने से योग की अच्छी स्थिति बनती है । और बहुत से फ़ालतू विचार नष्ट हो जाते हैं । इसको बार बार देखने से कई रोग भी ठीक हो जाते हैं । और मन बडी तेजी से साफ़ होकर नियन्त्रण में होने लगता है । न मानों तो करके देखना । अगर पहले आपने कभी नहीं किया । तो शुरूआत में कालापन अधिक दिखाई देगा । और इसको प्रतिदिन देखते रहने पर उसमें सफ़ेदी की मात्रा बडती जायेगी । और तब आप एक अजीव सी फ़ुर्ती और उत्साह अनुभव करेंगे । ज्यों ज्यों आप इसको देखते जायेंगे । इसके कई रहस्य खुलते जायेंगे । हालांकि अलौकिक ग्यान के रहस्य में यह कोई बडी तोप नहीं है । पर जो कुछ नहीं जानते । उनके लिये बहुत है । दूसरे ये तीन काम खास करती है । चिडचिडापन और अवसाद हटाना । दूसरा कुम्भ स्नान की तरह आपके मन से पाप धोना या मन को शुद्ध करना ।तीसरा सभी बीमारियां या वासनायें मन के विकार के कारण हीं होती हैं । इसलिये ये क्रिया आश्चर्यजनक रूप से फ़ायदा करती है ।
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" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । " " सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
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