रविवार, अगस्त 22, 2010

ग्वारी विलेज जहां आश्रम की शुरूआत हो चुकी है


आखिरकार वो दिन आ ही गया । जिसका हम महाराज जी । सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज...परमहँसके शिष्यों को मुद्दत से इंतजार था । पहले महाराज जी फ़ोन भी अपने पास नही रखते थे । और प्रायः नहरआदि एकान्त स्थल या वनक्षेत्र में ही अक्सर रहते थे । इससे हम लोगों को महाराज जी के नित्यदर्शन और सतसंग लाभ आदि से वंचित रहना पडता था । जिससे सभी साधक एक बैचेनी महसूस करते थे । तब
महाराज जी के शिष्यों ने आग्रह किया ।महाराज जी कहीं एक छोटी कुटिया या छोटा आश्रम होना चाहिये । जिससे आपसे काफ़ी दूर से मिलने की आस ले के आया श्रद्धालु कुछ राहत महसूस कर सके । तब महाराज जी ने कहा । अभी नहीं । अभी स्थायी रूप से रहने का इरादा नहीं है । मैं राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ महाराज जी का लाडला होने के कारण पीछे पड गया कि महाराज जी सुबह शाम नित्य आपके दर्शन और सतसंग का लाभ हम बच्चों को कबसे प्राप्त होगा ? तब कुछ दिनों पहले महाराज जी ने आगामी क्वार महीने 2010 से स्थायी रूप से रहने की बात कही । लेकिन उन्होंने हम पर कृपा करते हुये एक मोबायल फ़ोन 0 96398 92934 रखना अवश्य स्वीकार कर लिया । इससे इतना फ़ायदा तो हो ही गया कि महाराज जी से किसी भी समय बात कर सकते थे । और उनके दर्शन हेतु उस स्थान पर जा सकते थे । खैर फ़िर भी हमें महाराज जी के एक निश्चित स्थान पर रहने का इंतजार अभी भी था । और आखिरकार महाराज जी ने
ग्वारी गांव में सघन वृक्षों के नीचे एकान्त स्थान में कुटिया बनाने की स्वीकृति दे दी । देखते ही देखते ट्रेक्टर
आदि से जमीन एक सी कराकर एक बीस फ़ुट लम्बी बीस फ़ुट चौडी कुटिया जिसे साधुओं की भाषा मेंबंगला कहते हैं । तैयार हो गयी । और शीघ्र ही उसके चारों तरफ़ फ़ूल आदि पेडों की बाड और गेट आदि बनाने का कार्य शुरू हो गया । उस स्थान पर बिजली और नल की बोरिंग पहले से ही मौजूद थी । आने जाने वालों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुये महाराज जी ने आश्रम का स्थान मेन रोड से महज आधा किलोमीटर अन्दर समुचित रास्ते वाला ही चुना । उत्तर प्रदेश के जिला मैंनपुरी और जिला इटावा को आपस में जोडने वाली सडक पर । करहल तहसील और पूर्व मुख्यमन्त्री सपा मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव का गांव सैफ़ई । इस आश्रम से लगभग चौदह किलोमीटर के अन्तर पर है । श्री मुलायम सिंह यादव का ग्रहनगर और क्षेत्र होने से मैंनपुरी से इटावा तक का अधिकांश क्षेत्र निर्माण और भव्यता के स्तर पर किसी अति आधुनिक शहर या विदेशी भूमि का अहसास दिलाता है । अति आधुनिक और चिकनी मजबूत सडकों का जाल पूरे क्षेत्र में बिछा हुआ है । सैफ़ई में हवाई अड्डा से लेकर उच्चस्तर के अस्पताल स्टेडियम और अन्य प्रकार की सुविधायें भी मौजूद है । जहां तक मेरी जानकारी है । सैफ़ई का विधुत उत्पादन उसी स्थान पर होता है । और चौबीस घन्टे बिजली रहती है । यह सब कहने का आशय यह है कि ना जानकारी वाले जो लोग मैंनपुरी को पिछडा क्षेत्र मानते हैं । यहां आकर चकाचौंध हो जाते हैं । मैंनपुरी से
इटावा के बीच में लगभग 55 किलोमीटर का अन्तर है । आगरा से मैंनपुरी और इटावा दोनों ही लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर है । मैंनपुरी से ग्वारी विलेज जहां आश्रम की शुरूआत हो चुकी है लगभग 18 किलोमीटर दूर है । इटावा से ग्वारी विलेज 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । दिल्ली से मैंनपुरी के लिये सीधी बस सेवा और रेल सेवा उपलव्ध है । कानपुर से भी सीधी बस सेवा उपलब्ध है । दिन रात चौबीस घन्टे के किसी भी समय इस स्थान पर पहुंचने में किसी प्रकार की दिक्कत और किसी प्रकार का भय नहीं है । फ़िलहाल आश्रम में और साधुओं के रहने तथा आने जाने वालों के ठहरने हेतु कुछ कमरों का निर्माण प्रारम्भ होने वाला है । और साथ ही कुछ ही दिनों में एक अलग आश्रम पर विचार चल रहा है ।
जिसका स्थान तय हो चुका है । जो लोग संत मत sant mat की आत्म दर्शन की परमात्मा से मिलाने वाली इस दिव्य साधना DIVY SADHNA का अनुभव करना चाहते हैं । वे महाराज जी सतगुरु श्री शिवानन्द जी महाराज...परमहँस के पास इस आश्रम में पहुंचकर ग्यान प्राप्त कर सकते हैं । परन्तु अच्छे परिणाम के लिये उन्हें कम से कम आठ दिन का समय लेकर आना होगा । मेडीटेसन या अन्य ध्यान साधनाओं का पूर्व में अभ्यास कर चुके साधक आठ दिन में दिव्य अनुभूतियों और समाधि का अनुभव आसानी से प्राप्त कर लेते हैं । ऐसा मेरा कई बार का अनुभव है । अंत में अपने सभी सतसंगी भाईयों और प्रेमीजनों को जय गुरुदेव की । जय जय श्री गुरुदेव ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।