मंगलवार, अगस्त 10, 2010

आते तेरे द्वार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।

एक तुम्ही आधार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
जब तक मिलो न तुम जीवन में । शांति कहां मिल सकती मन में ।
खोज फ़िरा संसार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
कैसा भी हो तैरनहारा । मिले न जब तक शरण तुम्हारा ।
हो न सका उस पार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
हे प्रभु तुम्ही विविध रूपों में । हमें बचाते भवकूपों में ।
ऐसे परम उदार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
हम आये हैं द्वार तुम्हारे । दुख उद्धार करो दुख हारे ।
सुन लो दास पुकार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
छा जाता जग में अंधियारा । तब पाने प्रकाश की धारा । आते तेरे द्वार सतगुरु । एक तुम्ही आधार सतगुरु ।
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" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । "" सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । " विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु
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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।