सोमवार, दिसंबर 19, 2011

सुमिरन का ढोल नहीं पीटना चाहिये




प्रश्न - श्री स्वामी जी, क्या भजन, सुमिरन का ढोल नहीं पीटना चाहिये?

उत्तर - नहीं, कदापि नहीं, इससे अनिष्ट होता है। विभिन्न लोग विभिन्न प्रकार की बातें हंसी उडाते हैं। फ़िर यह ठीक भी नहीं है। नाना प्रकार की बातें करके लोग मन को संदिग्ध और चंचल बना देते हैं तथा साधन में विघ्न पैदा करते हैं। यथार्थ साधक कैसा होता है जानते हो?

यथार्थ साधक मच्छरदानी के अन्दर सोया रहता है। सब लोग सोचते हैं कि सो रहा है। पर वह रात सुमिरन, ध्यान करके बिता देता है। सबेरे जब उठता है तो लोग समझते हैं कि वह सोकर उठा है।

पहली उम्र में ही खूब साधना, जप, ध्यान, भजन, सुमिरन, पूजा, दर्शन, सेवा, दान कर श्री सदगुरू देव महाराज के दर्शन, ध्यान का आनन्द पा लेना चाहिये। एक बार जिसने स्वाद पा लिया वह फ़िर कहाँ जाएगा। उसका सिर काट लेने पर भी वह पुन: अपने भगवान, अपने प्रभु, अपने मालिक को कभी छोङ नहीं सकता। अपने मालिक से मिलने को बेचैन रहता है।

साधना भजन का सुन्दर समय है, सन्धि क्षण, और गम्भीर रात्रि।

साधारणतया मनुष्य वह समय व्यर्थ गवां देता है। जो लोग खूब नींद लेना चाहते हैं यदि वे पहले पहल दिन में सो लें, और रात्रि में जागें तो वह भी अच्छा है।

रात को तीन लोग जागते हैं - पहला योगी, दूसरा भोगी, और तीसरा चोर।
रात की नींद योगी साधु के लिये नहीं है। यह बात श्री स्वामी जी महाराज अपने श्रीमुख से बराबर कहा करते हैं।

ऐसे प्रेमीभक्त श्री सदगुरूदेव के सानिध्य में रहते हैं और सदगुरू सभी को उपदेश ध्यान, धारणा, भजन, सेवा सिखलाते हैं। विभिन्न प्रकार की सेवायें करवा कर अपने शिष्य को हर प्रकार से संवारते और सम्हालते हैं।

प्रश्न - क्या श्री सदगुरूदेव भगवान का नाम लेने से मन शुद्ध होता है?

उत्तर - अवश्य शुद्ध होता है। श्री सदगुरूदेव के नाम का भजन, सुमिरन, दर्शन, सेवा, पूजा, ध्यान करने से तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं। श्री सदगुरू स्वामी जी के नाम के भजन में ऐसा विश्वास होना चाहिये कि मुझे अब डर क्या, मेरा अब बन्धन कहाँ। श्री सदगुरू से नामदीक्षा लेकर मैं अब अमर हो गया हूँ। इस तरह का अटल विश्वास रखकर मैं अब अमर हो गया हूँ। इस तरह का अटल विश्वास रखकर साधना करनी चाहिये। निश्चित ही भजन, सुमिरन से तन, मन शुद्ध और शान्त हो जायेगा।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।