शनिवार, नवंबर 26, 2011

अष्टावक्र गीता वाणी ध्वनि स्वरूप - 42


अष्टावक्र उवाच - यथातथोपदेशेन कृतार्थः सत्त्वबुद्धिमान । आजीवमपि जिज्ञासुः परस्तत्र विमुह्यति । 15-1
 अष्टावक्र बोले - सात्विक बुद्धि से । युक्त मनुष्य । साधारण प्रकार के उपदेश से भी कृतकृत्य ( मुक्त ) हो जाता है । परन्तु ऐसा न होने पर । आजीवन जिज्ञासु होने पर भी । परबृह्म का । यथार्थ ज्ञान नहीं होता है । 1
मोक्षो विषयवैरस्यं बन्धो वैषयिको रसः । एतावदेव विज्ञानं यथेच्छसि तथा कुरु । 15-2 
विषयों से उदासीन होना । मोक्ष है । और विषयों में रस लेना । बंधन है । ऐसा जानकर । तुम्हारी जैसी इच्छा हो । वैसा ही करो । 2
वाग्मिप्राज्ञामहोद्योगं जनं मूकजडालसं । करोति तत्त्वबोधोऽयमतस्त्यक्तो बुभुक्षभिः । 15-3
वाणी । बुद्धि । और कर्मों से । महान कार्य करने वाले । मनुष्यों को तत्त्व ज्ञान शांत । स्तब्ध । और कर्म न करने वाला । बना देता है । अतः सुख की इच्छा रखने वाले । इसका त्याग कर देते हैं । 3
न त्वं देहो न ते देहो भोक्ता कर्ता न वा भवान । चिद्रूपोऽसि सदा साक्षी निरपेक्षः सुखं चर । 15-4 
न तुम शरीर हो । और न यह शरीर । तुम्हारा है । न ही तुम । भोगने वाले । अथवा करने वाले हो । तुम चैतन्य रूप हो । शाश्वत साक्षी हो । इच्छा रहित हो । अतः सुखपूर्वक रहो । 4
अष्टावक्र त्रेता युग के महान आत्मज्ञानी सन्त हुये । जिन्होंने जनक को कुछ ही क्षणों में आत्म साक्षात्कार कराया । आप भी  इस दुर्लभ गूढ रहस्य को इस वाणी द्वारा आसानी से जान सकते हैं । इस वाणी को सुनने के लिये नीचे बने नीले रंग के प्लेयर के प्ले > निशान पर क्लिक करें । और लगभग 3-4 सेकेंड का इंतजार करें । गीता वाणी सुनने में आपके इंटरनेट कनेक्शन की स्पीड पर उसकी स्पष्टता निर्भर है । और कम्प्यूटर के स्पीकर की ध्वनि क्षमता पर भी । प्रत्येक वाणी 1 घण्टे से भी अधिक की है । इस प्लेयर में आटोमेटिक ही वाल्यूम 50% यानी आधा होता है । जिसे वाल्यूम लाइन पर क्लिक करके बढा सकते हैं । इस वाणी को आप डाउनलोड भी कर सकते हैं । इसके लिये प्लेयर के अन्त में स्पीकर के निशान के आगे एक कङी का निशान या लेटे हुये  8 जैसे निशान पर क्लिक करेंगे । तो इसकी लिंक बेवसाइट खुल जायेगी । वहाँ डाउनलोड आप्शन पर क्लिक करके आप इस वाणी को अपने कम्प्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं । ये वाणी न सिर्फ़ आपके दिमाग में अब तक घूमते रहे कई प्रश्नों का उत्तर देगी । बल्कि एक  मुक्तता का अहसास भी करायेगी । और तब हर कोई अपने को बेहद हल्का और आनन्द युक्त महसूस करेगा ।


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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।