बुधवार, फ़रवरी 01, 2012

नानक गुरु की चरणों लागे

एक सुआन दुई सुआनी नाल ।  भलके भौंकही सदा बिआल ।
कुड छुरा मुठ मुरदार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं पति की पदि न करनी की कार । उह बिगङै रूप रहा विकराल ।
तेरा एक नाम तारे संसार । मैं ऐहो आस ऐहो आधार ।
मुख निंदा आख दिन रात । पर घर जोही नीच मनाति ।
काम क्रोध तन बसह चंडाल । धाणक रूप रहा करतार ।
फ़ाही  सुरत मलूकी बेस । उह ठगवाङा ठगी देस ।
खरा सिआणा बहुता भार । धाणक रूप रहा करतार ।
मैं कीता न जाता हरामखोर । उह किआ मुँह देसा दुष्ट चोर ।
नानक नीच कह विचार । धाणक रूप रहा करतार ।
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साहब मेरो एको है । एको है भाई एको है ।
आपै रूप करे बहु भांती । नानक बपुणा एव कह ।
जो तिन किआ सो सचु थीआ । अमृत नाम सतगुरु दीआ ।
गुरु पूरे ते गति मति पाई ।
बूङत जग देखिआ तउ डरि भागे । सतिगुरु राखे से बङ भागे । नानक गुरु की चरणों लागे ।
मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा विचारी राम । 
बलिहारी गुरु आपणे दिउहाङी सद बार ।
जिन मानस ते देवते कीए करत न लागी बार ।
आपीनै आप साजिओ आपीनै रचिओ नाउ ।
दुयी कुदरति साजीए करि आसणु डिठो चाउ ।
दाता करता आपि तूं तुसि देवहि करउ पसाउ ।
तूं जाणोइ समसै दे लैसहि जिन्द कबाउ । करि आसणु डिठो चाउ ।
एहू जीउ बहुते जन्म भरमिआ । ता सतिगुरु शब्द सुणाइआ ।
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नानक नाम चढदी कलां । तेरे भाणे सब दा भला ।
नानक दुखिया सब संसार । सुखिया सोय नाम आधार ।
जाप ताप ज्ञान सब ध्यान षट शास्त्र सिमरत व्याख्यान ।
जोग अभ्यास कर्म धर्म किया । सगल त्यागवण मध्य फ़िरिया ।
अनेक प्रकार किए बहु यत्ना । दान पुण्य  होमै बहु रत्ना ।
शीश कटाये होमै कर राति । वृत नेम करे बहु  भांति ।
नहीं तुल्य राम नाम विचार । नानक गुरुमुख नाम जपिये एक बार ।

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Agra, uttar pradesh, India
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले में जसराना तहसील के एक गांव नगला भादौं में श्री शिवानन्द जी महाराज परमहँस का ‘चिन्ताहरण मुक्तमंडल आश्रम’ के नाम से आश्रम है। जहाँ लगभग गत दस वर्षों से सहज योग का शीघ्र प्रभावी और अनुभूतिदायक ‘सुरति शब्द योग’ हँसदीक्षा के उपरान्त कराया, सिखाया जाता है। परिपक्व साधकों को सारशब्द और निःअक्षर ज्ञान का भी अभ्यास कराया जाता है, और विधिवत दीक्षा दी जाती है। यदि कोई साधक इस क्षेत्र में उन्नति का इच्छुक है, तो वह आश्रम पर सम्पर्क कर सकता है।