
ब्रह्म राम ते नाम बङि , वरदायक वर दान .
राम चरित सत कोट मह , लिय महेश जिय जान . यह जो परमात्मा का नाम है वह राम से बङा तथा ब्रह्मा से भी श्रेष्ठ है .
इससे यह सिद्ध होता है कि नाम कोई और है जो राम अक्षरों से भी विलक्षण है क्योंकि नाम के ही प्रभाव से राम के चरित्र को शिवजी ने सतकोट में ही जान लिया है . ऐसा वह नाम सबका वरदान तथा वरदाता है . ऐसा वह प्रभावशाली परमात्मा का नाम है .
जासु नाम सुमरति एक बारा , उतरहिं नर भव सिन्धु अपारा . राम नाम मनि दीप धरु , तुलसी भीतर बाहिरहु जो चाहिय उजियार . जीभ के आखिरी सिरे रखकर यानी प्राण के ध्वनात्मक नाम का दहलीज पर रखकर ध्यान करें तो अन्दर बाहर दोनों और उजाला हो जायेगा . ऐसा वह नाम गुण वाला है .
2 टिप्पणियां:
jhibh ke akhari sire par rakhkar ka kya matlab hua
ये दीक्षित लोगों को बताने की बात है आपके अन्दर
उस दिव्य नाम की गूँज हो रही है जो विशेष ग्यान
द्वारा जाग्रत कर दी जाती है और अलौकिक से
जुङकर आप अलौकिक अनुभव करतें हैं..कृपया
बेनामी न रहकर मुझे ब्लाग पर लिखे फ़ोन न.
पर या golu224@yahoo.com पर सम्पर्क करें
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